मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-4

पिछला भाग पढ़े:- मां बेटे की चुदाई – एक मनोचिकित्सक की ज़ुबानी-3

नसरीन अपनी और अपने शौहर की चुदाई की कहानी सुना रही थी। तभी नसरीन को ध्यान सा आया कि उसने अपने कारोबार के बारे में तो मुझे कुछ बताया ही नहीं। इस कारोबार से ही तो नसरीन के असली कहानी जुड़ी हुई थी।

नसरीन ने अपने आगरा के कारोबार के बारे में बताना शुरू किया।

नसरीन बताने लगी, “हम लोगों की आगरा के सदर बाजार में अपनी किताबों की दुकान है, शाह जी बुक स्टोर। दुकान ऊपर नीचे बनी हुई है। ऊपर का कमरा पहले गोदाम के तरह इस्तेमाल होता था। अब ये कमरा काम के दौरान दोपहर को आराम करने के लिए इस्तेमाल होता है।”

“ये दुकान मेरे शौहर बशीर के दादा नवाब शाह अंसारी के जमाने से है। उन्हीं के नाम पर ये दुकान का नाम है। पहले ये एक प्रिंटिंग प्रेस हुआ करती थी। पुराने तरीके की हाथ से लिखे और हाथ से चलने वाली उर्दू भाषा की प्रिंटिंग प्रेसें।”

“वक़्त बदला और हाथ से चलने वाली प्रिंटिंग प्रेसों का जमाना लद गया। फिर मेरे शौहर के पिता – मेरे ससुर – सिताब खान अंसारी ने यहां अखबारों और किताबों की दुकान खोल ली। नाम हो गया शाह जी बुक स्टोर। दुकान में स्कूलों की कापियां किताबें, मैगजीन और अखबार रखे जाते थे। बाजार में पुरानी दुकान होने के कारण दुकान ठीक चलती थी।”

“वक़्त फिर बदला। जब से बशीर ने दुकान संभालना शुरू किया तो स्कूल वालों ने कापियां किताबें स्कूल से ही देना शुरू कर दिया। तब से बशीर ने जासूसी उपन्यास, अखबार, और मैगजीन रखने शुरू कर दिए।”

तभी फ़िल्मी कैसेटों का चलन शुरू हो गया। अब उपन्यास, मैगजीन के साथ साथ बशीर ने फिल्मों की कैसेटें तभी रखनी शुरू कर दी। ये कैसेटें दुकान से बेची भी जाती थी और किराये पर भी दी जाती थी। अब दुकान का नाम भी अंगरेजी हो गया – शाह जी वीडिओ पार्लर।”

“दुकान पुरानी होने के कारण ग्राहक भी बंधे हुए थे, किसी तरह की कोइ दिक्क्त नहीं थी। सुबह का गया बशीर शाम को ही घर लौटता था।”

“दिन भर बशीर दुकान पर काम करते हुए थक जाता था। रात को मैं बशीर की पूरी थकान उतार देती थी। कभी उसका लंड चूस कर और कभी चूत चुसवा कर। चुदाई तो पहले की ही तरह रोज ही होती थी।”

“एक दिन बशीर शाम को घर आते-आते एक कैसेट ले आया। चुदाई की फिल्म की कैसेट। रात को हमने अपने कमरे में ये कैसेट चलाई – मर्द औरत की चुदाई की फिल्म थी। मैं पहली बार इस तरह की फिल्म देख रही थी।”

“उस फिल्म में जिस तरह की चुदाई लड़का-लड़की कर रहे थे वो सब देखते देखते मेरी चूत पानी-पानी हुई जा रही थी। चुदाई के दौरान जो जो कुछ फिल्म में लड़का-लड़की आपस में कर रहे थे, वो सब हमने भी किया, और चुदाई का बहुत मजा लिया। उस दिन उस फिल्म को देखते-देखते हम दोनों ने बड़ी मस्ती में चुदाई के मजे लिए।”

“अब जब भी बशीर का चुदाई का मन होता, बशीर कैसेट ले आता, और हम फिल्म देखते-देखते चुदाई करते और खूब मजे लेते”।

“कई बार तो बशीर ऐसी कैसेट लाता जिसमें लड़का-लड़की चुदाई करते-करते अजीब-अजीब काम करते दिखाई देते थे। जैसे पीछे चूतड़ों के छेद में लंड डालना। एक-दूसरे के मुंह के ऊपर, मुंह के अंदर ऊपर पेशाब करना वगैरह-वगैरह।”

“एक दिन जब बशीर ऐसी ही एक कैसेट लाया तो कैसेट देखते-देखते मैंने बशीर से पूछा, “बशीर ये कैसी फिल्में हैं? क्या ऐसा भी करते है औरत और मर्द? वो देखो, वो लड़की के पीछे वाले छेद में लंड डाल रहा है। और ये क्या है लड़की-लड़के के ऊपर खड़ी हो कर पेशाब कर रही है, और लड़का-लड़की के मुंह में पेशाब की धार डाल रहा है।”

“बशीर बोला, “नसरीन ये फ़िल्में मजे के लिए होती हैं। इनको देख कर मर्द का लंड खड़ा हो कर चूत ढूढ़ने लग जाता है और औरत की चूत गरम हो कर लंड मांगने लग जाती है। आम जिंदगी में ऐसी चीजें नहीं होती। हां कभी-कभार के मजे के लिए कई बार लोग ऐसी चीजें भी कर लेते हैं।”

“और फिर बशीर कुछ रुक कर बोला, “हां नसरीन एक बात है, वो जो पीछे यानी चूतड़ों के छेद में लड़का लंड डाल रहा है, ऐसा अक्सर होता है। दो लड़के भी आपस में ऐसा करते हैं और कई बार औरत और मर्द ऐसा करते हैं।”

“मैं चुदाई की फिल्म देख कर मस्त तो हुई ही पड़ी थी। मैंने बशीर से कहा, “लड़के? आपस में? कमाल है। मगर बशीर, आपने तो कभी मेरे पीछे चूतड़ों के छेद में लंड नहीं डाला।”

“बशीर बोला, “नसरीन सब लोग ऐसा नहीं करते। ये अपने अपने शौंक की बात है। मुझे ये शौक नहीं है I और फिर जब मर्द का खड़ा मोटा लंड औरत की गांड के छेद में जाता है तो औरत को दर्द भी बहुत होता है I ये गांड चुदाई मर्दों का शौक होता है, बहुत कम औरतों को इसमें मजा आता है।”

“फिर कुछ रुक कर बशीर बोला, “फिर भी आप तो कह रहे हो बहुत सी औरतें शौक शौक गांड भी चुदवाती हैं।”

“मेरे हाथ में बशीर का लंड था। मैं बशीर की ये बात तो समझ रही थी, कि ये सिर्फ फिल्म है सच्चाई नहीं। मगर मेरे चूतड़ों के छेद – मेरी गांड में भी कुछ झनझनाहट जैसा हो रहा था। मेरा मन भी बशीर का लंड गांड में लेने का कर रहा था।”

“मैंने बशीर का लंड हल्के से दबाते हुए कहा, “मगर बशीर, उस फिल्म में तो उस लड़की को बड़ा मजा आ रहा है।”

“मेरा इतना कहते ही बशीर समझ गया कि मैं भी गांड चुदवाना चाहती थी। बशीर ने मेरी चूत सहलाते हुए पूछा, “नसरीन तुम्हें लेना है पीछे वाले छेद में?”

“मैं कुछ नहीं बोली। मेरी चुप्पी मेरी हां ही थी। बशीर बोला, “देखो नसरीन अगर तुम्हारा मन है तो मैं करता हूं। अगर जरा सा भी दर्द हुआ तो मुझे बता देना। फिर मैं नहीं करूंगा।”

“अब मैं धीरे से बोली, “ठीक है बशीर।”

“बशीर उठा और मेज से क्रीम की टयूब उठा लाया। मैंने सोचा, फिल्म में तो लड़के ने कोइ क्रीम वगैरह नहीं लगाई, फिर बशीर क्रीम क्यों लाया है।”

“बशीर ने कहा, ” नसरीन उस लड़की की तरह बेड के किनारे पर चूतड़ पीछे करके उलटा लेट जाओ।”

“मैं धीरे से बोली, “ठीक है बशीर।” मैंने वैसा ही किया और बेड के किनारे पर चूतड़ उठा कर उल्टी लेट गयी। बशीर की बातों से इतना तो मैं समझ गयी थी कि बशीर को पीछे चूतड़ों के छेद में लंड डालने में कोइ ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी। मगर मैं ही कौन सी चुदाई की बहुत बड़ी खिलाड़ी थी। बशीर के लंड को छोड़ मैंने तो किसी बारह साल के लड़के की भी लुल्ली नहीं देखी थी।”

“मुझे क्या पता था कि मेरी चूतड़ों के छेद, मेरी गांड के छेद की क्या हालत होने वाली थी। ये तो मुझे तब पता चला जब बशीर ने अपना लंड मेरी गांड के छेद में थोड़ा सा डाला, और मुझे लगा आज का दिन मेरी जिंदगी का आख़री दिन है। इतना दर्द हुआ मुझे कि मैं बता नहीं सकती। मगर फिर मैंने सोचा, चूत की पहली चुदाई में भी तो दर्द हुआ ही था। मैं कुछ नहीं बोली, बस वैसे ही चूतड़ उठा कर लेटी रही।”

“अपना मोटा लंड मेरी गांड के छेद में डालने से पहले बशीर ने मेरे चूतड़ खोले और मेरी गांड का छेद अपनी जुबान से चाटने लगा। मजे के मारे मेरे चूतड़ अपने आप ही हिलने लगे। मैं सोच रही थी, ये चुदाई का मजा भी क्या मजा होता है।”

“कुछ देर मेरे चूतड़ चाटने के बाद बशीर ने क्रीम मेरी गांड के छेद के अंदर और शायद अपने लंड पर लगाई और थोड़ा सा लंड मेरे चूतड़ों के छेद में डाला और फिर रुक गया। बशीर कोइ पांच मिनट से ज्यादा ऐसे ही लंड मेरे चूतड़ों के छेद में डाले रुका रहा। बीच-बीच में बस लंड को थोड़ा सा छेद के अंदर और बाहर कर देता था, मगर पूरा लंड अंदर नहीं डाल रहा था।”

बशीर का लंड मेरी गांड के छेद में ही था। कुछ ही देर में मुझे लगा की दर्द कम हो गया है। बशीर ने मुझसे पूछा, “नसरीन ठीक हो ना।”

“मैंने बिना पीछे देखे ही कहा “हां बशीर ठीक हूं।”

“बशीर ने लंड मेरी गांड के छेद में से बाहर निकाल लिया। जब बशीर ने लंड बाहर निकाला मुझे अजीब सा ही मजा आया। तब मुझे लगा मेरी गांड का छेद खुल गया है। मैंने छेद बंद किया, तब मुझे महसूस हुआ कि छेद सच में थोड़ा सा फ़ैल सा गया था।”

“बशीर ने उंगली से क्रीम मेरी गांड के अंदर लगाई। कहां बशीर का मोटा लंड और कहां बशीर के उंगली। मगर जब बशीर की उंगली मेरी गांड में घुसी तो मुझे जन्नत का मजा मिला और मेरे मुंह से सिसकारी निकली ,”अअअअअह बशीर।”

“बशीर ने खूब सारी क्रीम अपने लंड और मेरी गांड में लगाई और लंड गांड के छेद पर रख कर अंदर की तरफ धकेला। थोड़ा लंड तो आराम से गया। मगर जैसे ही बशीर ने लंड थोड़ा कर अंदर किया तो मुझे फिर दर्द हुआ और मैंने कहा, “नहीं बशीर रहने देते हैं। मुझसे नहीं होगा। बड़ा दुखता है।”

“बशीर रुक तो गया, मगर लंड बाहर नहीं निकाला। कुछ देर में ये दर्द भी कम हो गया। बशीर का लंड मेरी गांड में शायद आधा ही गया था। जब बशीर ने कुछ नहीं किया तो मुझे लगा शायद अब बशीर लंड और अंदर नहीं डालेगा।”

“बशीर ने फिर लंड बहार निकाला और फिर से क्रीम से सनी हुई उंगली मेरी गांड के छेद में डाल दी। बशीर के उंगली आराम से मेरी गांड में चली गयी और मुझे बड़ा ही अच्छा लगा।”

“मैं अभी सोच ही रही थे कि अब बशीर क्या करेगा कि बशीर ने फिर लंड मेरी गांड के छेद पर रख दिया। बशीर कुछ रुका और धीरे-धीरे करके आधा लंड गांड में बिठा दिया। मुझे दर्द भी हो रहा था और हैरानी भी हो रही थी कि ये कैसी गांड चुदाई है। फिल्म में तो ऐसा कुछ नहीं था। फिल्म में तो लड़का-लड़की कि गांड में एक झटके के साथ पूरा लंड छेद के अंदर तक बिठा देता था और चुदाई चालू हो जाती थी।”

“बशीर ने लंड थोड़ा बाहर की तरफ किया, मगर गांड में से निकाला नहीं। बशीर ने लंड पर और क्रीम लगाई और मुझे कमर से पकड़ लिया। मुझे तब भी समझ नहीं आया कि क्या होने वाला था।”

“बशीर कुछ सेकंड के लिए रुका और एक ही झटके से लंड पूरा मेरी गांड में डाल दिया। मेरी दर्द के मारे बिलबिलाते हुए बोली, “नहीं बशीर, बस मुझे नहीं करवानी गांड चुदाई। निकाल लो लंड बाहर बशीर, मेरी जान निकल रही है।”

“मगर अब बशीर नहीं रुका और मेरे गांड में लंड जोर-जोर से अंदर बाहर करने लगा। दर्द के मारे मेरा बुरा हाल था। मेरी आंखों से आंसू आ गये। मैंने बशीर को कहा, ” बशीर बस करो। मत करो। मुझे बड़ा दर्द हो रहा है।”

“मगर बशीर नहीं रुका, उल्टा और जोर जोर से लंड अंदर बाहर करने लगा। जल्दी ही मेरी गांड का छेद सुन्न हो गया। बशीर ने मेरी कमर से हाथ हटा लिए और दोनों हाथ नीचे करके मेरी चूचियां मसलने लगा। फिर बशीर ने एक हाथ पीछे से नीचे किया, और मेरी चूत का दाना रगड़ने लगा। कुछ ही देर में मेरी चूत पानी छोड़ने लगी।”

“गांड का छेद तो सुन्न ही था। अब तो बशीर का लंड गांड में महसूस ही नहीं हो रहा था। बशीर के मुंह से आवाजें आ रहीं थी, “ले मेरी नसरीन… मेरा लौड़ा गया तेरी गांड के अंदर… आज तेरी गांड भी चुद गयी… आआआआह नसरीन… आआआह… अअअअअह। बशीर जोर-जोर से आगे-पीछे हो रहा था।”

“मेरी चूत कभी भी पानी छोड़ सकती थी। मैंने बशीर का हाथ अपनी चूत पर से हटा दिया, और अपने हाथ से अपनी चूत का दाना रगड़ने लगी।

मैं अब अपनी चूत का दाना में खुद रगड़ रही थी।”

“बशीर ने दोनों हाथों से मेरी कमर फिर से पकड़ ली थी। अब मेरे चूतड़ों के छेद में सही धक्के लग रहे थे बशीर के लंड के। बशीर के हर धक्के के साथ मैं आगे की तरफ होती, मगर बशीर मुझे आगे जाने ही नहीं दे रहा था। जल्दी ही मुझे लगा मेरी चूत का पानी निकलने वाला है।”

“मैं जोर जोर से चूत का दाना रगड़ने लगी और चूतड़ हिलाने लगी। गांड के छेद पर तो कुछ भी महसूस ही नहीं हो रहा था। तभी बशीर ने एक ऊंची आवाज निकाली, “आआआआह… नसरीन… ले निकला तेरी गांड में… आआआह और एक जोरदार धक्का लगाने के बाद बशीर रुक गया।”

“मुझे साफ़ महसूस हो रहा था कि बशीर के लंड का गरम-गरम पानी मेरे चूतड़ों के छेद में गिर कर अंदर तक जा रहा था।”

“कुछ रुकने के बाद कब बशीर ने लंड मेरी गांड में से बाहर निकाला मुझे कुछ भी महसूस नहीं हुआ। मैं ऐसे ही आगे की तरफ हो गयी और सीधी हो कर चूत का दाना रगड़ती रही। जल्दी ही मेरी चूत का पानी निकल गया। बशीर मेरे साथ ही लेट गया।”

“पंद्रह मिनट गुजरने के बाद लगा मेरी गांड दुःख रही है। मैंने बशीर से कहा, “बशीर मेरी गांड का छेद बड़ा दुख रहा है।”

बशीर ने कहा, “चलो चूतड़ इधर करो, देखता हूं।”

“मैं बिस्तर पर कुहनियों और घुटनों के बल लेट गयी और चूतड़ बशीर की तरफ कर दिए। बशीर ने हाथों से चूतड़ खोले और मेरी गांड के छेद को देख कर बोला, “कुछ नहीं नसरीन ये थोड़ी फूल गयी है, अभी ठीक कर देता हूं।”

“ये कह कर बशीर मेरी गांड के छेद पर जुबान फेरने लगा। बशीर के जुबान जब मेरे चूतड़ों के छेद पर लगी तो मुझे बड़ा ही सुकून सा मिला।”

“फिर बशीर उठा और कोइ क्रीम ला कर गांड के छेद पर लगा दी और कहा, “नसरीन दो तीन दिन ये क्रीम लगानी पड़ेगी, ठीक हो जाएगा।”

“मेरी पहली गांड चुदाई का तजुर्बा अच्छा नहीं था। मैंने थोड़ा गुस्से से बशीर से पूछा, “बशीर जब मैंने तुम्हें कहा था मुझे दर्द हो रहा है, तो तुम रुके क्यों नहीं। चुदाई बंद क्यों नहीं की, लंड बाहर क्यों नहीं निकाला?”

“बशीर ने कहा, “नसरीन कोइ भी काम पहले पहल करो तो थोड़ी बहुत तकलीफ तो होती ही है। जब शादी के बाद तुमने पहली बार मुझ से चूत चुदवाई थी तब भी तो ऐसा ही हुआ था।”

“मैं चुप रही मगर बशीर ही जरा सा हंसते हुए बोला, “नसरीन मुझे तो ऐसा मजा आ रहा था जैसा मजा तुम्हारी कुंवारी सील बंद टाइट चूत की पहली चुदाई करते हुए आया था। तुम्हारी गांड के छेद ने मेरा लंड जकड़ा हुआ था। मेरे सर पर चुदाई का भूत सवार था। मैं क्या करता? अब मुझे समझ आया की कई मर्द गांड चुदाई में इतनी दिलचस्पी क्यों लेते हैं।”

“फिर बशीर थोड़ा रुक कर बोला, ” लेकिन नसरीन अगर तुम्हें ये गांड चुदाई अच्छी नहीं लगी तो आगे से नहीं करेंगे।”

“ये कह कर बशीर ने मेरे होंठ अपने होठों में ले लिए और अपनी उंगली मेरी चूत में घुसेड़ दी।”

“बशीर के इतना कहने और करने से ही मेरा गुस्सा काफूर हो गया। लेकिन इसके बाद हमारी गांड चुदाई नहीं हुई।”

“हमारी जिंदगी हंसी खुशी कट रही थी। अच्छी सास और बढ़िया लंड और बढ़िया चोदने वाला शौहर। और क्या चाहिए होता है एक औरत को।”

नसरीन बोलती जा रही थी, “असलम दस साल का था – अचानक मेरी सास फातिमा बेगम का इंतकाल हो गया। ये हमारे लिए बड़ी ही दुःख कि घटना थी। मुझे तो मेरी सास का बड़ा सहारा था। लेकिन मौत पर किसका जोर चलता है। सास के इंतकाल के बाद भी दस साल असलम अपनी दादी के कमरे में ही सोता था।”

“जिंदगी कि गाड़ी चलती जा रही थी – वक़्त गुजरता जा रहा था।”

“आठ साल देखते देखते गुजर गए। असलम अट्ठारह का हो गया था और कालेज जाना शुरू हो गया था। मेरी और बशीर की चुदाई पहले की ही तरह जारी थी।”

“तभी एक अनहोनी हुई जो कहर बन कर हम पर टूट पड़ी। बशीर को एक दिन हार्ट अटैक आया और वो चल बसा।”

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