मां को चोदने के लिए लोगों ने उकसाया-2 Desi Sex Stories

पिछला भाग पढ़े:- मां को चोदने के लिए लोगों ने उकसाया-1

रेखा के घर तक आते समय मैं यही सोच रहा कि ये सच नहीं था। लेकिन जब रेखा को इंतज़ार करते देखा, तो दिल ख़ुश हो गया। वो मुझे देखती रही और मैं उनके सामने खड़ा हो गया।

रेखा: मुझसे क्यों मिलना चाहते थे? क्या चाहिए मुझसे?

मैं तो औरत की खुबसूरती को ही देख रहा था। मेरे पास होंठों पर दिल की बात आ गई।

अमित: दूसरों की तरह मैं सिर्फ़ आपकी ख़ूबसूरती का भूखा नहीं हूं। आपको देखते ही मुझे अपनी मां इन्दिरा दिखाई देने लगती है। रेखा, तुम बहुत ही सुंदर हो। सबसे ज़्यादा सुंदर हो। क्या मैं आपको टच कर सकता हूं?

मालूम नहीं मुझमें इतनी हिम्मत कहां से आ गई थी। बिना रेखा की परमिशन का इंतज़ार किये हुए, मैंने उनकी एक गाल को छुआ।

अमित: कितनी चिकनी है आप!

रेखा ने हौले से मुझे धकेला और एक रुम के अंदर घुस गई। मैं भी उसके पीछे रुम के अंदर चला गया, और बाहर वाले दरवाज़े को ठीक से बंद कर दिया। लेकिन रेखा उस रुम में नहीं रुकी। ये रुम लिविंग कम ड्राइंग रुम था। वहां से निकल कर वो दूसरे रुम में गई। मैं भी उस रुम में गया, लेकिन दरवाज़े पर ही रुक गया। यह बेडरूम था और बेड पर अरविंद सर सो रहे थे।

उनकी उठती गिरती छाती को देख कर लगा कि वे गहरी नींद में थे। रेखा उनके बग़ल में लेट गई। मैं थोड़ी देर खड़ा रहा और मुझे लगा कि उस औरत ने अपने पति को कोई नशे की दवा या नींद की दवा दे कर सुला दिया था, और ख़ुद मस्ती के मूड में थी। मैं रेखा की ओर देख रहा था और उसने मुझे विंक किया।

रेखा धीरे से बोली, “मैं समझ गई तुम सिर्फ़ मुझे नज़दीक से देखना चाहते थे, छूना चाहते थे। देख भी लिया और छू भी लिया। अब होस्टल वापस जाओ।”

लेकिन मेरी हालत ख़राब हो रही थी। रेखा के इतने नज़दीक आकर अगर उसे बिना चोदे यहां से गया तो फिर मैं अपने को कभी माफ़ नहीं कर पाऊंगा।

अमित: रेखा, चैन से नहीं रह पाऊंगा। प्लीज़ मुझे अपनी असली ख़ूबसूरती देखने दो।

रेखा: ये असली और नक़ली ख़ूबसूरती क्या होती है? जो हूं सो तुम्हारे सामने हूं। सब कुछ तो देख ही रहे हो।

अमित: ख़ाक सब दिख रहा है! सिर्फ़ चेहरा और हाथ ही तो दिख रहा है। बाक़ी तुम्हारी सारी ख़ूबसूरती तो इस गाउन ने छुपा रखी है।

बोलते हुए मैं रेखा के बिल्कुल पास गया और उनके पेट पर ( गाउन के उपर ) हाथ रखा।

अमित: रेखा रानी, प्लीज़ थोड़ी देर के लिए इसे अपने बदन से अलग कर दो।

वो एक टक मेरी ओर देखती रही। कुछ देर हम दोनों चुप रहे। लेकिन मेरी आंखें यह ढूंढ रही थी कि गाउन में बटन कहां था। बटन सामने नहीं था और ना ही मैं ही होश में रह गया था। रेखा के चेहरे की ख़ूबसूरती, उसके आकर्षक बदन के कारण मैं अपना होशों-हवास खो बैठा था।

मैंने रेखा को उसके पति की ओर घुमाया तो मुझे पीठ पर गाउन के बटन की जगह दिखी। मैंने उस जगह पर अंगुलियों को उपर नीचे किया तो मालूम पड़ा कि वहां बटन नहीं एक चेन (ज़िप) थी। पीठ के ऊपरी हिस्से से कमर तक का लंबा ज़िप था। मैंने ज़िप का हैंडल पकड़ा और पकड़े हुऐ नीचे तक ले आया। ज़िप खुल गया।मैंने दोनों हाथों से गाउन के पल्लुओं को पकड़ कर फैलाया तो रेखा की पीठ कमर तक नंगी हो गई।

ना ही रेखा मुझे रोक रही थी, ना ही मुझे होश था कि मैं क्या कर रहा था। मैंने दोनों हाथों से नंगी पीठ को सहलाया। जहां-तहां कंधों को पीठ को, कमर को चूमता रहा। मैंने रेखा को सीधा किया तो देखा कि उसकी आंखें डबडबा गई थी। मैंने दोनों आंखों को बार-बार चूमा।

अमित: अगर तुम्हें ये पसंद नहीं है फिर भी अब मैं अपने को रोक नहीं सकता हूं। मुझे प्यार करने दो, मुझे चोदने दो।

मैंने गाउन के दोनों साइड के स्ट्रैप को जो कंधे पर थे, उसे बांहों पर खिसकाया और दोनों बांहो को स्ट्रैप से बाहर कर दिया और धीरे-धीरे गाउन को नीचे खींचने लगा। थोड़ा ही खींचा तो मुझे चूचियों का उभार दिखाई देने लगा। गाउन थोड़ा और नीचे आया तो मुझे निप्पल दिखाई पड़ने लगा। और थोड़ा खींचा तो चूचियों की पूरी गोलाई दिखाई पड़ने लगी। मैं गाउन को खींचता ही गया और रेखा के बदन से बाहर निकाल दिया। उपर से नीचे तक हमारे साईंस टीचर की पत्नी बिल्कुल नंगी थी।

अमित: रेखा, इसे कहते हैं असली ख़ूबसूरती।

मैं थोड़ी झुका और दोनों चूचियों को दबाते हुए पहले होंठों को, फिर दोनों गालों को चूमा, बार-बार कई बार चूमा लेकिन रेखा ने एक बार भी थोड़ा भी रिस्पॉस नहीं दिया। किसी गुड़िया जैसी चुप-चाप लेटी रही। लेकिन मुझे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था। रेखा की नंगी जवानी को निहारते हुए मैंने पाजामा और कुर्ता खोला और मैं भी नंगा हो गया। बहुत देर के बाद रेखा बोली-

रेखा: मेरे पास आओ।

मैं उसके बग़ल में खड़ा हुआ। उसने लेटे हुए ही मेरे लंड को पकड़ा और उपर की स्किन को उपर नीचे करने लगी। उसने तीन-चार बार ऐसा किया फिर छोड़ दिया।

रेखा: मुझे तो लग रहा था कि तुम अपनी मां को सैकड़ों बार चोद चूके हो। लेकिन अब तक तुम्हारा लंड किसी भी बूर में नहीं घुसा है।

रेखा ने कैसे समझा कि मैंने तब तक किसी को नहीं चोदा था मालूम नहीं। मैं बेड पर उनकी जांघों के बीच बैठ गया। रेखा की चूत को बार-बार मसला। चूत चिकनी नहीं थी, लेकिन झांटे छोटी ही थी। चूत की पत्तियों, चूत की घुंडी सब साफ़-साफ़ दिख रहा था। मैं एक हाथ से रेखा की चूत को सहला रहा था।

अमित: मैंने अब तक किसी को नहीं चोदा क्योंकि मैं अपने इस लंड को दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत की खूबसूरत बूर के अंदर पेलना चाहता था।

तीन-चार दिन पहले विनोद ने चुदाई वाली तस्वीर दिखाई थी। उसके अलावा मैंने ना चुदाई की कहानी ही पढ़ी थी, ना ही चुदाई की कोई सिनेमा ही देखी थी। मुझे ओरल सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं मालूम था। फिर भी रेखा की जवानी इतनी लुभाने वाली थी, कि मैं अपने को रोक नहीं सका। एक हाथ से चूची और दूसरे हाथ से जांघों को सहलाते हुए मैं चूत को चाटने लगा।

मैंने रेखा की सेक्सी आवाज़ सुनी। “आह अमित, मत करो ना, बहुत बढ़िया लग रह है, फिर से करो।”

मुझे नहीं मालूम कि उसे क्या बढ़िया लगा लेकिन मैं प्युबिक एरिया को चूसता रहा चाटता रहा। फिर हाथों से चूत की फांक को फैला कर अंदर का नजारा देखा तो दिल बाग-बाग हो गया। चूत के अंदर का गुलाबी और रसीला माल को देख कर लंड बाहर नहीं चूत के अंदर घुसने को बेताब था।

अमित: रेखा, जी तो करता है कि रात दिन तेरी इस बूर को चूसता ही रहूं, लेकिन अगर लंड को इसका खाना जल्दी नहीं खिलाया, तो ये फट जायेगा।

मैंने अपने को उसके उपर पोजिशन किया। एक हाथ से लंड को पकड़ कर बूर के छेद में घुसाया। दूसरे हाथ से एक कंधे को पकड़ा। चूत्तड़ों को हल्का सा उपर उठाया और ज़ोर से धक्का मारा। सुपाड़ा बूर के अंदर घुस गया। “आह”, पहले ही धक्के में रेखा ने मस्ती की सिसकारी मारी।सिसकारी सुन कर मेरा जोश और बढ़ा। मैं धक्के पर धक्का मारता गया और पांचवें धक्के पर रेखा ज़ोर से बोली,

“वाह अमित, मज़ा आ गया। और ज़ोर से, और अंदर।” रेखा की यह बात सुन कर दिल ख़ुश हो गया। मैं पूरी ताक़त से धक्का लगाता रहा। साथ ही कभी मैं रेखा की मस्त जांघों को सहलाता था, तो कभी चूचियों को मसलता था। बीच-बीच में धक्का मारना बंद कर चूचियों को भी चूस लेता था।

मुझे तो बहुत मज़ा आ ही रहा था, रेखा भी शांत रह कर नहीं चुदवा रही थी। वो कभी अपनी बाहों में मुझे बांधने की कोशिश करती थी, तो कभी अपने फ़ीट को मेरे बदन पर रगड़ने लगती थी। उपर से वो लगातार मस्ती की सिसकारी मार ही रही थी। हम दोनों के बीच और कोई बात चीत नहीं हुई। बस हम दोनों एक-दूसरे को रगड़-रगड़ कर चोदते रहे।

मेरी पहली ही चुदाई थी। बिना किसी मेहनत के एक बहुत ही खूबसूरत औरत को चोद रहा था, वो भी उस औरत के पति के बग़ल में। मैंने धक्का मारना छोड़ कर रेखा के होंठों को चूमा। दोनों निप्पलों को चूसा और मैंने अरविंद सर का गाल सहलाया। फिर से धक्का लगाने लगा।

अमित: रेखा रानी, अरविंद सर को क्या खिलाया कि बेड इतना हिल रहा है, हम बातें कर रहे हैं, फिर भी सर को कोई फ़र्क़ नहीं पर रहा है? मुझे भी वो दवा देदो, कभी ज़रूरत पड़ सकती है।

रेखा ने ज़ोर से चूत्तड़ो‌ और कमर को उचकाया।

रेखा: अगर क़सम खाओ कि वो दवा सिर्फ़ अपने बाबू जी को खिला कर उनके बग़ल में ही अपनी मां को चोदोगे, तभी वो दवा दूंगी।

रेखा कि बात सुन कर मैं बहुत गर्म हो गया, और भी जमा-जमा कर चोदने लगा।

अमित: कुतिया, तू पागल हो गई है क्या? कोई अपना मां को भी चोदता है क्या?

रेखा: अपनी गुरु की पत्नी को चोद ही रहे हो, मां को भी चोद लोगे तो क्या हो जायेगा ? वैसे आज कल मां को चोदना, बेटी के पेट में बच्चा डालना, बहन को घरवाली जैसा रखना आम बात है। तुम्हारे दोस्तों में कई होंगे जो अपनी मां को, बहन को चोदते होंगे। उफ़ अमित, बहुत ही ज़्यादा मज़ा रहा है, सालों बाद इतना बढ़िया चुदाई मिली है, उफ़, हे भगवान, मैं गई

रेखा ने दोनों हाथों और जांघों से मुझे कस कर बांधा, इतना टाइटली बांधा कि मैं धक्का नहीं मार पाया। रेखा ने मुझे कुछ देर ऐसे ही बांधे रखा और फिर दोनों हाथ को अग़ल-बग़ल फैला दिया। अपने पैंरों को भी ढीला छोड़ दिया। मैं फिर धक्का मारने लगा लेकिन 5-6 धक्कों के बाद मुझे लगने लगा कि पूरे बदन का सारा खून लंड में ही आ रहा था। अचानक मैं झड़ने लगा। लंड से रस बूर के अंदर झड़ने लगा और मैं कुछ धक्के मार कर रेखा की चूचियों पर ढीला पर गया।

रेखा: अमित, ना तुमने कंडोम पहना, ना ही मैंने कुछ लगाया है। अगर मेरे पेट में तुम्हारा बच्चा रह गया तो?

मैंने उसे प्यार से बार-बार चूमा।

अमित: तुम्हारी शादी हो चुकी है। बच्चा होगा भी तो सर यही समझेंगे कि उनका ही बच्चा है। और नहीं तो तुम जब बोलो मैं तुमसे शादी कर लूंगा।

वो मुस्कुराते हुए मेरी तरफ़ देखती रही।

रेखा: सिर्फ़ चोदना बढ़िया आता है लेकिन हो पूरे बुद्धु। जो तुम्हें चाहिए था वो तुम्हें मिल गया। अब होस्टल जाओ। पकड़े जाओगे तो तुम स्कूल से निकाले ही जाओगे, मेरी भी बदनामी होगी।

अमित: रानी, विश्वास रखो, मेरी तरफ़ से कभी किसी को नहीं मालूम पड़ेगा कि मैंने तुम्हें चोदा है। रेखा रानी, दिल नहीं भरा, एक बार और लूंगा।

रेखा: क़सम खाओ की अगली छुट्टी में घर जाओगे तो मां को चोद कर आओगे, तभी दुबारा चोदने दूंगी।

ये औरत मेरे दिमाग़ में मां को चोदने की बात डाल रही थी। दीदी और बाबू जी की बात याद कर अनीता दीदी को चोदने की चाहत जाग ही गई थी। मैं रेखा के उपर से उतर कर बेड के नीचे आया। एक हाथ रेखा के पीठ के नीचे और दूसरा हाथ उसके जांघों के नीचे डाल कर मैंने उसे उठाया।

“बहुत ताक़त है”, बोलते हुए उसने अपने दोनों हाथों को मेरी गर्दन में लपेट लिया और मेरे होंठों को चूमा। मैं वैसे ही उसे उठाये हुए लिविंग रुम में लाया। उसे फ़्लोर पर उतारा।

अमित: रेखा रानी, मुझे ठीक से देखने दो कि रेखा सिंह कितनी ख़ूबसूरत है।

मैं उसके सामने खड़ा हुआ। दोनों हाथों से मैंने पहले उसके आगे के हिस्से को, पूरे बदन को सहलाया। फिर रेखा को घुमा कर माथा से लेकर पीठ और चूत्तड़ों को सहलाते हुए फ़ीट को पकड़ कर चूमा।

“रे़खा लम्बी औरत की श्रेणी में आती थी। उसका वजन 55 किलोग्राम था। रंग साफ़ गोरा रंग। देखने से ही लगता था कि औरत का बदन बहुत लचकदार था। उपर से नीचे तक औरत ही औरत लगती थी। लम्बे घने बाल, चेहरा बहुत ही प्यारा।  एक बार चेहरे पर नज़र चली जाए तो वहां से हटाना बहुत ही बहुत ही मुश्किल था।

चेहरा गोलाकार नहीं अंडाकार था। तीखे नयन नक्श, पतले रसीले होंठ और आंखों को लुभाने वाली गोरी-गोरी बांहे थी। 36 इंच की उभरी हुई चूचियां, सपाट पेट और पतली कमर थी रेखा की। बूर का तिकोना बहुत ही प्यारा था और 34 इंच की कसी हुई चूत्तड़ किसी को भी पागल बना सकती थी। उसकी टांगे और जांघें भी बहुत ही आकर्षक थी। उपर से नीचे तक एक खूबसूरत औरत थी ये 32 साल की रेखा।

बाद में पता चला कि ये रेखा अरविंद सर की दूसरी घरवाली थी। पहली घरवाली के मरने के बाद सर ने अपनी छोटी साली से शादी कर ली थी। शादी को 8 साल हो गये थे, लेकिन उनका कोई बच्चा नहीं हुआ था।

रेखा मुझे बार बार अपनी मां को चोदने के लिए बोल रही थी। मैंने अपनी मां को चोदने की बात मान ली।

अमित: रेखा, जिस तरह तुम्हें अपनी गुरू की पत्नी समझ कर नहीं, दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत समझ कर चोदा है। अपनी क़सम खाता हूं, कि अपनी मां इन्दिरा को मां नहीं एक बढ़िया माल, एक घटिया रंडी समझ कर चोदूंगा। मैंने सुना है, पढ़ा है कि औरत को सीधा लिटा कर चोदने में जितना मज़ा आता है, उससे ज़्यादा मज़ा औरत को कुतिया बना कर चोदने में आता है।

रेखा रानी, मेरे लिए कुतिया बनोगी? जैसे कुत्ता अपनी कुतिया की चूत चाटता है वैसे ही मैं भी चूत चाटने के बाद तुम्हें चोदूंगा।

मेरा बोलना ख़त्म हुआ और रेखा सोफ़ा पकड़ पर कुतिया के पोज़ में आ गई। यह देख कर मुझे विश्वास हो गया कि इस खूबसूरत औरत को मेरी चूदाई पसंद आई थी। तभी दोबारा चुदवाने के लिए तैयार हो गई थी। मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था।