माँ पापा से गुस्साई, बेटे से चुदवाई-4 (अंतिम भाग)

पिछला भाग पढ़े:- माँ पापा से गुस्साई, बेटे से चुदवाई-3

इस कहानी के चौथे और अंतिम भाग में आपका स्वागत है। आपने पहले तीन भागों में पढ़ा कि कैसे मैंने माँ को रेगुलर सेक्स के लिए मनाया। हमें जब मौका मिलता लंड चूत का मिलन करवाते, और अपने रिश्ते में आई इस मिठास का आनन्द लेते।

शुरुआत में हम थोड़ा असहज थे, जो कि स्वाभाविक है। पर अब हम दोनों ने इसको स्वीकार कर लिया है, और हमारा माँ-बेटे का रिश्ता और भी मजबूत हो चुका है। जैसे कोई भाई अपनी बहन को पढ़ाता है, तो उससे उनके रिश्ते भाई बहन से टीचर स्टूडेंट्स का नहीं हो जाता। उसी तरह हमारे एक-दूसरे को शारिरिक सुख देने से माँ-बेटे के रिश्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। हमारा रिश्ता हमारे बीच चुदाई से और भी मजबूत हो गया।

खैर हमने कई बार चुदाई की। हर जगह और तरीकों से मोम की चूत मारी मैंने। जैसे किचन में किया। बाथरुम में शावर में, बाथ टब में, छत पर रात में, हर जगह चुदाई की। और हम बहुत खुश थे। पापा भी मम्मी को खूब चोद रहे थे रात में। तो मम्मी की चांदी थी। एक दिन में दो लंड का मज़ा प्रतिदिन।

मुझसे चुद के मम्मी और भी जवान होती जा रही थी। ऐसा लग रहा था कि उम्र घट रही थी। चेहरे पे अलग ही खुशी और लाइट थी।

अब मैं उसकी गांड भी मारना चाहता था। पर वो तैयार नहीं थी। मेरी उसकी गांड के लिए तड़प बढ़ती जा रही थी। मैंने एक दिन उसे एनल सेक्स पोर्न की वीडियो दिखाई और दर्द नहीं होने का वादा किया।

क्योंकि वो गांड से वर्जिन थी। मुझे उसकी गांड की सील तोड़नी थी। मैंने काफी समझाया तो ट्राय करने के लिए रेडी हुई। पापा किसी टूर पे 15-20 दिन के लिए गए थे। रात को हम दोनों अकेले थे। मैं मम्मी-पापा के बेड पर गया और गांड को मसलने लगा।

पूरे कपड़े उतार कर पूरे शरीर को चूस कर स्वाद लिया। उसकी चूत को मलाई जैसे स्वाद लेते हुए चूसने लगा। मेरी जीभ उसकी चूत के छेद के अंदर तक जा रही थी। जीभ से ही चूत की चुदाई कर रहा था। लंड तो आज उसकी गांड के लिए रिजर्व था।

चूत को चाटते हुए गांड के छेद के चारों ओर उंगलियों से सहलाने लगा। चूत ने जब मलाई छोड़ दी, तो सारा रस चाट-चाट कर पी गया। आखिर मेरी मम्मी का रस था, बर्बाद कैसे होने देता? अब मैं गांड के पास गया और छेद के चारों ओर चूमने लगा। मैं बड़े आराम से करना चाहता था। एक कारण ये कि इस गांड की सील भी अभी ही टूटनी थी।

मैं जोर से गांड को नाक सटा कर सूंघने लगा। स्वभाविक है गांड गांड जैसा ही गन्ध देगी, पर क्योंकि मैं प्यासा था, उसकी गांड की बदबू भी मज़े से सूंघ रहा था, और तारीफ भी कर रहा था।

मैं उसके चूतड़ों को मसलने लगा। साइज तो आपको पता ही है। पार्ट 1 में बताया ही था। काफी देर चूतड़ों से खेलने के बाद मैं गांड के छेद को चूसने लगा। जीभ से ही गांड मारने की कोशिश करने लगा।

कभी-कभी हम अपनी जीभ को छोटा लंड के रूप में उपयोग करते हैं। क्यों? अब छेद के ऊपर चूसता रहा और छेद में उंगली करता। मेरी थूक से गांड का छेद पूरा गिला हो गया था, और चिकना भी। 1 उंगली काफी देर गांड में करने के बाद अब दो उंगली डाल दी। मैंने दो उंगली डाल दी तो आह आह करने लगी, और निकालो-निकालो कहने लगी।

मैंने बोला: दो उंगली में नखरे करोगी तो पूरा लंड कैसे लोगी?

वो बोलने लगी: गांड लेना क्यों जरूरी है? चूत में डाल लो।

मैं उंगली करते रहा, और गांड को चूसता रहा।

मैंने बोला: गांड तो अभी मारूंगा ही, नख़रे अब तो बन्द कर लो।

ऐसा कह कर मैं उसके होठ चूसने लगा, और धीरे से बोला: भरोसा करो, मजा आएगा जान।

अब मैंने कपड़े सारे उतार दिये, और लंड उसके मुंह के पास ले गया।

लंड उसके होंठो पर रख दिया और उसकी आँखों में देखने लगा। कुछ देर शांत रहने के बाद उसने अपना मुँह खोला और लंड के ऊपरी भाग को चाटने लगी, जिससे मेरा लंड और भी खड़ा हो गया।

वो लेटे-लेटे ही मेरे लंड के स्वाद का मज़ा ले रही थी। में वो दृश्य देख कर खुद पर गौरवान्वित था। कैसे मम्मी का भरोसा जीता और आज मेरा लंड चॉकलेट की तरह चूस रही है। उसके दिल से चूसने के कारण मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया। तो मैं गांड मारने के लिए नीचे की ओर गया।

मैंने लंड में ढेर सारा थूक और सरसो का तेल लगाया। ऐसा ही तेल उसकी गांड के छेद पर भी लगा दिया, और छेद के अंदर भी उंगलियों से तेल को डाल दिया। अब मैंने लंड गांड के छेद पर सटा कर रगड़ने लगा। उसके चेहरे पे दर्द का डर साफ दिख रहा था।

मैंने प्यार से पूछा: गांड में डाल दूं?

उसने मना कर दिया।

मैं: केवल एक बार तो देदो गांड, अच्छा ना लगे तो दोबारा मत करना।

उसने कहा: दर्द होगा।

मैंने विश्वास दिलाया: नहीं होगा। थोड़ा ही होगा।

फिर मैंने पूछा: डाल लूँ?

उसने अब हाँ कर दी: हाँ कर लो।

मैंने बोला: डार्लिंग मज़े आएंगे भरोसा करो।

मैंने उसके पैरों को कंधों पर रखा, और गांड में लंड का टॉप डाल दिया, और चोदने लगा। सरसो के तेल के कारण टोपा आराम से चला गया। इसी तरह धीरे-धीरे चोदते हुए लंड और भी अंदर घुसता गया, और पूरी घुसा दी। कुछ देर तो वो रोती रही, फिर मजा लेने लगी।

मैंने इस तरह गांड की पुरी चुदायी की। घोड़ी भी बनाया और पीछे से गांड ली। फिर अंदर ही सफेद मलाई छोड़ कर उसी के ऊपर लेट गया और दोनों नंगे ही सो गए। पापा तो 20 दिनों के लिए बाहर थे, तो कोई हड़बड़ी नहीं थी। आधी रात मम्मी का नींद खुली और वो लंड चूसने लगी। फिर ऊपर बैठ कर चूत में डाल कर मस्त लंड की सवारी करने लगी। मेरा लंड भी उसके नाव मे मस्त सवारी का आनंद ले रहा था।

इसी तरह हमारा खेल चलता रहा। जब मौका मिलता मस्त चुदायी करते। तो यही थी हमारी कहानी। आपको कैसी लगी, कमेंट करके बताओ। कमेंट जरूर करना। 10 में से कितने नम्बर देंगे?