कुसुम आंटी-3 Desi Sex Stories

पिछला भाग पढ़े:- कुसुम आंटी-2

मैं भी 10 मिनिट में तैयार होकर नीचे चला गया। आंटी भी तैयार थी। बढ़िया सूट डाला हुआ था। हम लोग चल दिए। फिर दिन भर घूमे शॉपिंग हुई। शाम को घर आए। फिर थकने की वजह से नींद आने लगी। मैं अपने रूम में आकर सो गया। फोन साइलेंट था। सुबह उठा तो देखा आंटी के ढेरो मैसेज और कई कॉल थी। मैंने सुबह मैसेज किया गुड मॉर्निंग, थोड़ी देर बाद मैसेज आया, “कहा थे?” मैंने कहा, “सो गया था”।

उन्होंने कहा, “मुझे कितना बात करने का मन था”। मैंने सॉरी बोला। फिर मैं तैयार होकर ऑफिस के लिए 9 बजे तक निकला। आंटी नीचे अपने दरवाजे पे खड़ी थी। वो मुस्कुरा रही थी, और मैं भी मुस्कुरा रहा था। मैं फ्लाइंग किस देकर चला गया। ऑफिस में मन नहीं लग रहा था। बस चूत का भूत सवार था। आंटी को मैसेज किया, “क्या कर रही हैं?” वो बोली, “जान तुम्हारा इंतजार”। मैंने कहा, “आई लव यू”। उन्होंने कहा, “आई मिस यू”। उन्होंने कहा, “वेट”। मैंने कहा, “ओके”।

5 मिनिट बाद एक लाल ब्रा में फोटो भेजी। मैंने कहा, “बहुत सुंदर लग रही हैं”। उन्होंने कहा, “क्या?” मैंने कहा, “आप, ब्रा, और चूची”। शर्माने वाली स्माइली भेजी और बोली, “कल ही ब्रा ली है मैंने सिर्फ तुम्हारे लिए, इसको तुम ही खोलोगे”। मैं बहुत खुश था। मैंने कहा, “आपके बिना दिल नहीं लग रहा”। वो बोली, “आ जाओ जान, घर कोई नहीं है”। मैंने कहा, “काश आ पाता”।

जैसे तैसे दिन बीत गया। शाम को मैं लौटा। मुझसे पहले अंकल और विनय आ जाते हैं। घर पहुंच कर हाथ पैर धुल कर सोचा अब खाना बनाऊं। जब किचन में गया तो खाना बना हुआ रखा था। मैं समझ गया कि आंटी ने किया था। मैंने थैंक यू मैसेज किया। उन्होंने कहा, “किसलिए”? मैंने कहा, “खाना बनाने के लिए”।‌ उन्होंने कहा, “अब तुम मेरी जिम्मेदारी हो, तुम्हारा ख्याल रखना मेरा फर्ज है। अब रोज ही खाना बना मिलेगा”।

इस व्यवहार ने दिल जीत लिया। मैंने आई लव यू भेज दिया।‌वो बोली, “आज सोना नहीं, बात करेंगे”। मैंने कहा‌, “ठीक है”। खाना खाने के बाद 10 बजे मैसेज आया, और हम दोनों बात करने लगे। मैंने पूछा, “क्या पहनी हैं?” वो बोली, “नाइटी”। मैंने पूछा, “और अंदर?” वो बोलीं, “कुछ नहीं”। मैंने कहा, “आपकी चूत चाटनी हैं”। वो बोली, “हट गंदे”!

मैंने कहा, “एक बार चटवा के देखिए”। जवाब आया, “ओके”। मैंने पूछा, “अंकल चाटते हैं?” बोली “नहीं, आज तक नहीं”। मैंने कहा, “मौका दीजिए”। वो बोली, “अब तो तुम्हारी हूं, जो करना है करो”। मेरा लंड खड़ा था। मैंने फोटो खींच के भेज दी। उन्होंने कहा, “मेरी चूत में डाल दो”। मैंने कहा, “आइए ऊपर”। वो बोली, “नहीं आ सकती। कल छुट्टी लेलो, मुझसे रहा नहीं जा रहा”। मैंने कहा, “देखता हूं”।

मैंने कहा, “आपकी चूची सिर्फ ब्रा में ही देखी है अभी तक, चूची पीने का दिल कर रहा है”। आंटी बोली, “कल ऑफिस मत जाओ, सारी मुराद पूरी हो जायेगी”। मेरा लंड फटे जा रहा था। आंटी बोली, “तुमको देखने का दिल कर रहा है”। मैंने अपनी फोटो भेज दी। ढेर सारी किस आई। बात हम करते-करते सो गए।

मैं सुबह गहरी नींद में था। मेरे मुंह पर कुछ नरम-नरम महसूस हुआ तो मेरी आंख खुली। मैंने देखा आंटी अपनी चूची लटकाए हुए थी मेरे मुंह पर। आंख खुलते ही बोली, “गुड मॉर्निंग जान”। मैं हड़बड़ा के उठ गया। मैंने कहा, “आप यहां क्या कर रही हैं?” उन्होंने कहा, “टाइम नहीं है ज्यादा, तुम्हारे अंकल वाशरूम गए हैं”। कहते-कहते अपनी नाइटी उतार दी। अब वो पूरी नंगी थी। तुरंत चूची मुंह में डाल कर बोली, “लो पीना था ना तुमको”। मैंने जोर से निपल्स काटने शुरू कर दिए, और चूची मसल रहा था।

फिर तुरंत बेड से उतर कर फर्श पर लेट गई और बोलीं, “मेरे ऊपर आओ”। मैं उनके ऊपर चढ़ गया। उन्होंने मेरा लंड अपनी चूत पर सेट किया। मैंने एक एक झटके में लंड अन्दर डाल दिया। चूत गीली थी, उनके मुंह से बस उम्म आवाज़ आई। मैंने पेलना शुरू कर दिया, और कभी गाल और कभी होंठ चूम रहा था। पहला राउंड था तो मैं झड़ने लगा, और 5 मिनट में चूत में ही झड़ गया। मैं उनको चूमता रहा, चूची पीता रहा।

20 मिनिट बाद वो अलग हो गई, नाइटी पहनी, और चुम्मा देकर नीचे चली गईं। मैसेज किया, “आज ऑफिस नहीं जाओगे”। मैंने कहा, “ठीक है”। आई लव यू बोल के उन्होंने फोन रख दिया। पर ऑफिस जाना जरूरी था। मैं जा रहा था। आंटी को देखा तो वो मायूस हो गई थी। उनका दिन भर चुदने का मन था। ऐसे ही चलने लगा। सुबह आधे घंटे की चुदाई रोज ही चलने लगी। आंटी चुदाते हुए कहती थी, “आज छुट्टी ले लो”।

एक दिन सुबह-सुबह मैंने सोचा इनकी तड़प को और बढ़ाया जाए। वो जैसे ही आकर नंगी होकर लेटी, मैंने चूत में लंड ना डाल कर चूत पे जीभ लगा दी। वो तो पागल हो गई। मैं चाटने लगा चूची मसलते हुए। वो उफान मार रहीं थी। 10 मिनट में ही झड़ गई। मुझे कस कर पकड़ कर लंबी-लंबी सांसें लेकर लेट गई। मुझसे भी नहीं रहा गया। मैंने उनकी चूची पीना शुरू कर दिया।

टाइम होते ही आंटी गरम ही नीचे चली गई। वाशरूम में जाकर एक-दम नंगी होकर वीडियो कॉल किया। पर कुछ बोल नहीं रही थी। फिर फोन काट दिया। वो बोली, “बस तुम मजे ले रहे हो, या सच में प्यार करते हो?” मैंने कहा, “प्यार करता हूं”। तो बोलीं, “रुकते क्यू नहीं दिन में?” मैंने कहा, “जान मेरी, एक दिन की भी छुट्टी हो गई तो दिक्कत होगी”। वो बोली, “रात तुम्हारे साथ गुजार नहीं सकती, दिन में तुम रहते नहीं हो”। ऐसे ही चलता रहा‌। कुछ दिन बाद कोरोना की दूसरी लहर चली, और लॉकडाउन हो गया।

अब असली मजा शुरू हुआ। मैं घर आते हुए काम-वर्धक गोलियों का पत्ता ले आया। मेरी तो छुट्टी हो गई ऑफिस से। अंकल और विनय की नहीं हुई, क्योंकि वो लोग बैंक और हॉस्पिटल में थे।

रात में मैसेज आया, “भगवान ने मेरी सुन ली, अब तुम सिर्फ मेरे”। मैंने हंसकर बोला, “जी बिल्कुल, कल का क्या प्लान है?”

उन्होंने कहा, “तुम बताओ”। मुझे अब मौका मिला था अपना प्यार जताने और दिखाने का। मैंने कहा, “वो कल ही पता चलेगा अब तो”। हम दोनों एक्साइटेड थे। आंटी बोली, “सुबह नहीं आऊंगी”। मैंने कहा, “क्यों”। वो बोली, “दिन भर तो साथ ही रहना है”।

मैंने पूछा, “विनय और अंकल कब तक चले जायेंगे?” वो बोली, “9 बजे”। मैंने कहा, “कल साथ में नहाएंगे हम दोनों”। उन्होंने कहा, “ओके”। तब तक मैं सारे काम निपटा लूंगी। मैंने कहा, “चलिए अब सो जाइए, कल बहुत मेहनत करनी है”। उन्होंने कहा लव यू और गुड नाईट। फिर सो गई।

सुबह 5 बजे वो नंगी मेरे ऊपर आकर लेट गई। मैंने बाहों में भर लिया। मैंने कहा, “आप तो आने वाली नहीं थीं?” वो बोली, “इतने दिन से आदत लग गई है, सुबह होते ही चूत में गुदगुदी होने लगती है”। मैंने कहा, “अभी गुदगुदा देते हैं फिर”। मैंने उसे पेलना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे मेरी टाइमिंग भी बढ़ गई थी। वो चली गई और मैं सो गया। 9 बजे कॉल आई, “आ जाओ”।

मैंने जल्दी से दो गोली खा ली और नीचे गया। आंटी बोली, “बाथरूम में आओ”। वो नंगी थी, और पूरा बदन भीगा हुआ। मैं भी साथ में नहाने लगा। हम गले मिले और किस करने लगे। मैं बाथरूम में लेट गया और आंटी को झुका के उनकी चूची पे शावर का पानी जो निपल्स से टपक रहा था वो पीने लगा। ये तजुर्बा आंटी के लिए नया था। गरम हो गए हम दोनों। फिर चूत का पानी चाटने लगा। जीभ अंदर गई तो आंटी सिसकारियां लेने लगीं।

वो बोली, “रूम में चलो”। आंटी मेरा लंड पकड़ कर रूम में चल दीं। दोनों गीले एक-दूजे से लिपट गए। मैं उनके ऊपर आ गया। उन्होंने मेरा लंड पकड़ के चूत के मुंह पे लगा दिया। मैं भी मदहोश था, एक झटके में लंड पूरी चूत में घुस गया। मैं पेलने लगा अंधाधुन। चुदवाते हुए आंटी बोली, “लंड चूत से निकलने मत देना”। और रिमोट से टीवी ऑन करके आवाज बढ़ा दी।

मैं भी उनका कंधा पकड़ के जोर मारने लगा। आंटी आह उम्म करने लगी। कभी मैं चूची पकड़ लेता, कभी वो मुझे चूमती।आंटी की चूत फच फच करने लगी। फिर तो कहती और तेज मारो। 10 मिनट में उनकी टांगे मैंने अपने कंधे पर रख ली, और घुटने के बल होकर पेलने लगा।

आंटी की चूचियां झूल रहीं थी, जो मुझे उत्तेजित कर रही थी। आंटी गांड हिलाने लगी, शरीर का पानी सूख के गायब हो‌ गया। “आह आह राज, मेरी जान चोदते रहो। फाड़ो आज मेरी चूत”। आंटी की ये बातें मुझे ताकत देती। पेलते-पेलते मेरी गोटियां दर्द करने लगीं, फिर भी ना जोर ना शोर कम हुआ। जैसे तैसे मैं स्खलित हुआ चूत में और हांफने लगा। वो बोली, “ऐसे खुल कर मैं तुम्हारे अंकल से भी नहीं चुदी। अब से सिर्फ तुम ही मुझे चोदोगे”।

तब जो चुदाई का सिलसिला शुरू हुआ था, वो आज भी चल रहा है। आंटी मेरी पक्की रंडी बना हुई है।

तो दोस्तों ये थी मेरी कहानी। अगर कहानी का मज़ा आया हो तो इसको शेयर ज़रूर करें।