अजब गांडू की गजब कहानी-5

पिछला भाग पढ़े:- अजब गांडू की गजब कहानी-4

पढ़ाई और चुदाई हमारी ठीक चल रही थी, दिन मस्त कट रहे थे। मेरा और हेमंत दोनों का दो साल वाला अपना-अपना कोर्स पूरा हो चुका था, और अब हम इकट्ठे दो साल वाला बिज़नेस मैनेजमेंट का कोर्स कर रहे थे।

साल 2020 आ चुका था। इस बीच हम एक बार भी लखनऊ नहीं गए थे। छुट्टियों में हम ऑस्ट्रेलिया के शहरों में ही घूमने निकल जाते। इन सालों में हमने ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न, सिडनी, ब्रिस्बेन, एडिलेड, गोल्ड कोस्ट डार्विन, तस्मानिया जैसे शहरों की बहुत सारी मशहूर जगहें देख ली थी।

ऑस्ट्रेलिया हमारे देश भारत से कहीं बड़ा देश है, मगर आबादी सिर्फ और सिर्फ पौने तीन करोड़ है। लगभग हरियाणा की आबादी के बराबर। ऑस्ट्रेलिया में घर बड़े बड़े है, चौड़ी-चौड़ी खुली सड़के मीलों तक सीधी चलती जाती हैं। बाजारों और शॉपिंग मॉल को छोड़ कर दूर-दूर तक लोग नहीं दिखाई देते।

मैं हर दूसरे-तीसरे दिन घर फोन करता रहता था। युग से भी बात होती रहती थी। एक दिन पापा का फोन आया और पापा ने बताया अचानक युग की मम्मी का देहांत हो गया था। युग के मम्मी का देहांत? ये मेरे लिए भी बड़े ही दुःख भरा समाचार था। युग की मम्मी को मैं चाची कहता था। मैं भी बचपन से ही चाची के साथ हिला हुआ था। पापा से बात करने के बाद मैंने युग से भी बात की। चाची के देहांत से युग बड़ा दुखी था।

— गांडू युग की चित्रा के साथ शादी

साथ आठ महीने ऐसे ही गुजर गए। एक दिन जब मैंने पापा को फोन किया तो उन्होंने बताया युग का रिश्ता युग की बुआ सुभद्रा ने अपने जेठ की लड़की चित्रा से करवा दिया था, और शायद अगले महीने शादी भी होने वाली थी।

पापा के हिसाब से ये एक अच्छी खबर थी। देसराज त्रिपाठी अंकल का नाम इलाके के बड़े जमीदारों में आता था। युग भी देखने भालने में अच्छा था। उधर चित्रा के लिए घर जाना पहचाना था। एडजस्टमेंट में किसी किस्म की समस्या नहीं आने वाली थी। मगर फिर भी मुझे इस खबर से बड़ी हैरानी हो रही थी।

खैर अगली बार मैंने जब युग को फोन किया तो अपनी हैरानी छुपाते उसे चित्र के साथ रिश्ते की बधाई दी, “क्या भाई युग चूतिया, सूना है चित्रा के साथ तेरा रिश्ता पक्का हो गया है। साले चुपके-चुपके शादी करेगा क्या? बताया भी नहीं तूने?”

युग ने कोइ बहुत उत्साहित हो कर जवाब नहीं दिया। बस इतना ही कहा, “हां पक्का हो गया है।”

मैंने आगे कहा, “अच्छा चल ये बता कैसी लगती है चित्रा। मुझे तो देखे हुए भी तीन साल से ज्यादा हो गए। बड़ी बदल गयी होगी। वैसे तो साले तुझे देखे भी तो तीन साल हो गए।”

युग ने फिर भी कोइ जवाब नहीं दिया उल्टा मुझे तो वो बिल्कुल भी खुश नहीं लगा। जब मैंने भी आगे कोइ बात नहीं की तो युग बोला, “क्या खुश होना यार। तुझे तो पता ही है कैसा हूं मैं। मुझे लड़कियों में दिलचस्पी ही नहीं रही कभी। मैं बोलता भी रहा, नहीं करनी मुझे शादी, नहीं करनी मुझे शादी। किसी ने नहीं सुनी मेरी। बस यही कहते रहे, बिना औरत के घर भूतिया होता है।”

फिर युग कुछ पल रुक कर भूतिया वाली बात दोहराता हुआ बोला, “बिना औरत के घर भूतिया होता है मेरा घंटा। इस भूतिया घर के चक्कर में मेरा चूतिया बना दिया। पता नहीं इन उल्लू के पट्ठों ने चित्रा से भी पूछा है या नहीं।”

इतना बोल कर युग तो चुप कर गया, मगर उसकी इस “भूतिया चूतिया” वाली बात से मेरी हंसी छूट गयी। फिर भी मैंने कहा, “क्या बात कर रहा है युग, कुछ नहीं होगा। सब ठीक हो जाएगा।”

युग ने बीच में ही मुझे टोक कर कहा, “क्या ठीक हो जाएगा राज और कैसे ठीक हो जाएगा? तू तो जानता ही है मेरे बारे में। मैंने आज तक सपने में भी लड़की से चुदाई के बारे में नहीं सोचा। चलो मान लो हो गयी शादी। अब चित्रा को भी तो चुदाई चाहिए होगी या नहीं? और अगर शादी के बाद अगर ढंग से चुदाई ही ना हो पाई तो क्लेश मचेगा या नहीं मचेगा?”

मैंने फिर कहा, “कैसे नहीं होगी चुदाई चित्रा की? लंड तो तेरा अच्छा खासा खड़ा होता ही है। चुम्मियां लेनी हैं, चूचियां दबानी हैं, खड़ा लंड चूत में डालना है उसके बाद वही तो करना है जो तू हाथ से करता है। हो गयी चुदाई और चुदाई क्या होती है?”

युग फिर खिझ कर बोला, “अबे किसको चूतिया बना रहा है भोसड़ी वाले तू? चुदाई करने के लिए चूत के अंदर डालने और धक्के लगाने तक खड़ा भी तो रहना चाहिए लंड? अगर लंड खड़ा ही नहीं रहेगा तो चूत के अंदर कैसे जाएगा, और क्या धक्के लगेंगे?”

“तू क्या जानता नहीं जब तुम लोग लड़कियों की बातें करते-करते लंड खड़े करके हिलाया करते, तब भी मेरे लंड में एक हरकत तक नहीं होती थी?”

युग की ये सारी बातें सही थी। ऐसा ही होता था। जब हम दोस्त लोग मिल कर लड़कियों से ख्याली चुदाई की बातें किया करते थे, तो लंड तो हमारे खड़े हो ही जाते थे। मगर युग सब से अलग एक तरफ अपने में ही मस्त खड़ा रहता और हमारी इस तरह की बातों में हिस्सा नहीं लेता था।

युग की इन बातों ने मुझे परेशान कर दिया। मैंने बस यही कहा, “कुछ नहीं होगा युग, शादी के बाद जब लड़की कपड़े उतार कर टांगें उठा कर सामने लेटेगी, तो अपने आप सब ठीक जाएगा।”

“देखते हैं”, युग ने आगे बात ही नहीं की,‌ और इतना कह कर उसने फोन काट दिया।

इसके एक महीने के बाद नवम्बर 2021 में युग की चित्रा से शादी हो गयी। कुछ दिन तो मेरा हौंसला ही नहीं पड़ा के इस बारे में युग से बात करूं। आखिर को तो मुझे मालूम ही था कि युग क्या था। पक्का बॉटम वाला गांडू, गांड में लंड लेने वाला। लड़कियों में उसकी सच में ही कभी दिलचस्पी नहीं रही। पर फिर भी वही ख्याल आता था कि लड़की अगर चूचियां निकाल कर, टांगे उठा ले और चूत खोल कर लेट ही जाए तो कोइ महा बरह्मचारी ही होगा जिसका लंड खड़ा नहीं होगा।”

मगर ये सोचते ही फिर ध्यान आता युग के पांच इंची लंड का। इस पांच इंच साइज़ का युग क्या करेगा? क्या चित्रा डाक्टरों की इस बात को समझ पाएगी कि चुदाई के मजे के लिए बड़े लंड की नहीं बढ़िया चुदाई की जरूरत होती। चुदाई के लिए साढ़े चार इंच लम्बा लंड भी काम कर जाता है।

युग के पांच इंची लंड का ध्यान आते ही मेरे दिमाग में ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में वियतनाम वाले लड़के हवांग का ख्याल आ गया। वो हल्का-फुल्का पांच इंच से कम लंड वाला लड़का भी तो अपने से आधा फुट लम्बी, हट्टी-कट्टी लड़कियों पारुल और तबस्सुम की चूत का बैंड बजा देता था। यहां तक कि हमारे लबे लंड लेने से उन दोनों को हवांग के छोटे लंड से चुदाई में ज्यादा मजा आता था।

— युग की सुहागरात का फ्लॉप शो

इसी उलझन में कई दिन से युग से बात नहीं हुई थी। पर आखिर फिर एक दिन मैंने युग को फोन मिला ही लिया। युग ने फोन उठाया। इधर-उधर की बातें करने के बाद मैंने पूछा, “और सुना युग, शादी कैसी रही? चित्रा कैसी है? अपनी शादी की फोटो भेज ना।”

युग ने बड़ी ही मायूसी से जवाब दिया, “कुछ ना पूछ यार राज। मैंने बोला ही था मत करो मेरी शादी, मगर मेरी किसी ने सुनी ही नहीं। अब मेरे गांडू-पने की सजा चित्रा भुगत रही है।”

मैंने फिर पूछा, ” क्या हुआ युग, ऐसे क्यों बोल रहा है यार?”

युग बोला, “बताया तो था तुझे राज, मुझे चूत चुदाई में कभी दिलचस्पी रही ही नहीं। और वही हुआ। शादी की पहली रात चित्रा मेरे इधर-उधर हाथ लगाती रही मगर ना कुछ होना था ना कुछ हुआ। मेरे लंड में किसी तरह की कोई हरकत नहीं हुई। पहला दिन तो बहाना बना कर निकाल लिया की थका हुआ हूं।”

“अब रोज तो एक ही बहाना बनाया जा नहीं सकता। आखिरकार चित्रा को भी तो लंड चाहिए, सभी लड़कियों को चाहिए होता है। अगले दिन भी जब मैं नहीं हिला तो चित्रा ने ही पहल कर दी और मेरा लंड पकड़ लिया। चित्रा के लंड पकड़ने से इतना तो गया कि लंड खड़ा हो गया, पर तुझे तो पता ही है मेरा लंड कैसा है। चित्रा ने खड़ा लंड पकड़ा और मेरी तरफ देखा। चित्र बोली तो कुछ नहीं पर उसकी आंखों से लग रहा था जैसे कह रही हो, “ये है लंड तुम्हारा?”

युग बता रहा था, “चित्रा कुछ देर ऐसे ही लंड हिलाती-डुलाती रही। लंड हाथ में ले कर फिर चित्रा की चूत भी गरम हो गयी होगी। जब मैं वैसे ही लेटा रहा और मैंने कोइ पहल नहीं की, तो चित्रा उठी और उसने मेरा लंड मुंह में ले लिया। चित्रा के मेरा लंड मुंह में लेने की देर थी, कि मुझे मजा आ गया। मेरे मुंह से आवाज निकली, “निकल गया चित्रा”, के साथ लंड का पानी निकल गया।”

“चित्रा ने बड़ी मुश्किल से एक-दम लंड मुंह से निकाला और लंड का पानी मुंह में जाने से रोका। चित्रा मेरे साथ ही लेट गयी। कुछ देर तो चित्रा ऐसे ही लेटी रही। फिर अपनी उंगली से अपनी चूत रगड़ने लगी। चित्रा ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रक्खा और ऊपर-नीचे करने लगी।”

“मैं समझ गया चित्रा क्या चाहती थी। मैं चित्रा की चूत का दाना रगड़ने लगा। जल्दी चित्रा की चूत गरम हो गयी और चित्रा ने एक सिसकारी ली , “आआह युग” और जोर से चूतड़ हिलाये और ढीली हो गयी। चित्रा को मजा आ गया।”

मैं चुप था। फिर युग ही बोला, “अब तू बता राज, क्या ऐसी होती है शादी की पहली रात की चुदाई? थोड़ी देर में जब चित्रा का मजा उतरा तो उसने मुझे पूछा, “क्या हुआ था युग?”

“मैं क्या जवाब देता। मुझे चुप देख कर चित्रा ही दिलासा देते हुए बोली, “कोई बात नहीं युग कल देखेंगे।”

“मेरे मन में ख्याल आया कल क्या हो जाएगा। कैसे बताता कि मैं गांडू हूं? बॉटम वाला गांडू? ऐसा भी कल क्या हो जाएगा जो आज नहीं हुआ। और फिर कल इस पांच इंची लंड को क्या मैं सात इंची बना दूंगा?”

युग की ये बातें सुन कर मेरा मन बड़ा खराब सा हुआ, मुझे युग पर तरस सा आने लगा। अपनी आदत और कुदरत के बनाये शरीर की बदौलत वो अपनी नई बियाही बीवी की चुदाई नहीं कर पा रहा था।

मैंने युग से कहा, “युग भई चिंता ना कर लंड तो खड़ा हुआ ही तेरा, और चुदाई पांच का लंड भी ठीक करता है। ये बड़े-बड़े लंडों की बड़ी-बड़ी चुदाईयां, सब खाली बकवास हैं, नए-नए जवान होते हुए लड़कों के दिमागी फितूर हैं। तू ये बता अगले दिन बना कुछ काम?”

युग बोला, “कुछ काम नहीं बना। अगले दिन चित्रा लंड मुंह में लेने के मूड में नहीं थी। वो चूत में ही लंड लेना चाहती थी। जब चित्रा की बड़ी कोशिशों के बाद भी मेरा लंड खड़ा नहीं हो पाया, तो चित्रा झल्ला गयी और बोली, “युग प्रॉब्लम क्या है? तबीयत ठीक है या कोई दिक्कत है?”

मैं क्या बोलता चुप रहा। चित्रा ने फिर कहा, “युग मैं कुछ पूछ रही हूं। क्या प्रॉब्लम है? क्या किसी और लड़की के साथ चक्कर है क्या तुम्हारा?” मैंने चित्रा को बीच में ही टोकते हुए कहा , “नहीं-नहीं चित्रा, ऐसा कुछ नहीं है।” चित्रा ने उसी तल्खी से कहा, “अगर वैसा ‘कुछ’ नहीं हैं तो फिर कैसा ‘कुछ’ है?”

युग बोला, “तुझे तो पता ही है चित्रा बचपन से हमारे घर आती रही है। वैसी वाली शर्म वाली बात तो है नहीं। मैं समझ गया चित्रा को गुस्सा आया हुआ है कि आखिर बात क्या है मैं उसे चोद क्यों नहीं रहा? मैंने टालने के लिए कह दिया, “चित्रा कल पक्का करेंगे।”

“अगले दिन भी होना जाना तो कुछ था नहीं। अगले दिन भी चित्रा ने ही पहल की। चित्रा ने लंड हाथ में लिया और लंड खड़ा भी हो गया। चित्रा ने पहले वाली बात भूल कर फिर से लंड मुंह में ले लिया।”

“शुक्र है लंड उस दिन चित्रा के मुंह में नहीं झड़ा। कुछ चूसने के बाद चित्रा ने कपड़े उतारे और लेट गयी और टांगें उठा कर बोली, “चलो उठो अब करो जो करना है।”

“मैं समझ गया चित्रा लंड चाहती थी और चुदाई के लिए तरस रही थी। बड़ी मुश्किल से चित्रा ने मुंह में लंड ले कर खड़ा किया था। पर जैसे ही मैंने लंड चूत के अंदर डालना शुरू किया – अभी लंड का टोपा भी चूत में नहीं गया होगा कि मेरा पानी निकल गया।”

“उसकी चूत गरम होना शुरू हुई होगी कि मेरा लंड ठंडा हो गया। मैं चित्रा के साथ ही लेट गया और चित्रा की चूत का दाना रगड़ने लगा।”

“चित्रा की चूत का पानी और मेरे लंड से निकला पानी, चित्रा की चूत चिकनी हुई पड़ी थी। चित्रा अपनी चूचियां मसलने लगी और आआह आआह की सिसकारियां लेने लगी। जल्दी ही चित्रा ने चूतड़ घुमाए और आआह युग की आवाज के साथ ढीली हो गयी।”

“जब चित्रा का मजा उतरा चित्रा ने कह ही दिया, “युग कुछ तो है। परसों भी यही हुआ था आज भी यही हुआ है। टच करते ही तुम्हारा निकल जाता है। अगर ऐसे ही तुम्हारा जल्दी निकलता है तो किसी डाक्टर को दिखाओ। ये कोइ ऐसी बड़ी समस्या तो है नहीं। ऐसे कब तक चलेगा।”

“मैंने भी सोचा कि कब तक अपनी ये गांड में लंड लेने वाली आदत छुपाऊंगा। मैंने कह ही दिया “चित्रा ये डाक्टर को दिखानी वाली समस्या नहीं।”

“चित्रा बोली, “डाक्टर को दिखाने वाली नहीं तो फिर किसको दिखाने वाली है?” फिर कुछ चुप्पी के बाद हिम्मत बटोर कर मैंने कह ही दिया, “चित्रा बात वो नहीं है। असल में मैं गे हूं, समलिंगी।”

“इतना सुनना था कि चित्रा तो बिफर ही गयी और चिल्लाते हुए बोली, “क्या युग? तुम गे हो? समलिंगी? अगर समलिंगी हो तो मुझसे शादी ही क्यों की, मेरी जिंदगी के साथ क्यों खिलवाड़ किया?”

युग बता रहा था, “अब राज तू बता मैं चित्रा को उसकी इस बात का क्या जवाब देता? मैंने बस इतना ही कहा, “चित्रा मैंने तो बुआ को बोला भी था ना करो मेरी शादी। मगर किसी ने मेरी एक नहीं सुनी।”

“चित्रा उसी गुस्से से बोली, ” एक नहीं सुनी? तो फिर अब? तुम बताओ अब मैं क्या करूं, मैं कहां जाऊं? मैं चाची से ही बात करती हूं, वही उतावली हो रही थी हमारी शादी के लिए, बताती हूं क्या है उसका भतीजा। चाची से ही पूछती हूं अब मैं क्या करूं?”

“चित्रा ने फोन उठा लिया। बड़ी मुश्किल से मैंने चित्रा को बुआ से बात करने से रोका।”

इतनी सब बात बता कर युग चुप हो गया। मेरे मुंह से बस इतना ही निकला ,”ये तो बड़ी गड़बड़ हो गयी युग यार, अब?”

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