मेरे बचपन का प्यार रूबी – भाग 10

पिछला भाग: मेरे बचपन का प्यार रूबी – भाग 9

शनिवार का दिन:

रितु चाटती गयी चाटती गयी और चाट चाट कर मेरा लंड सुखा दिया – खड़ा और सख्त हो गया था वो अलग I

रितु की चुसाई में जादू था। दस मिनट की चुसाई के बाद ही मेरा लंड खड़ा हो गया। रूबी ने जब लंड फनफनाते देखा तो बोली, “विक्की, ये तो फिर तैयार है। चल फिर रितु को भी करवा दे जन्नत की सैर।

और रूबी रितु को बोली, “आजा रितु “। रूबी थोड़ा एक और सरक गयी। मतलब रूबी का चुदाई के दौरान वहीं लेटने का मन था।

रितु सीधी लेट गई। रूबी ने एक तकिया रितु की गांड के नीचे रख कर चूत ऊपर उठा दी और चूत चाटने लगी। जैसे ही रितु की चूत ने पानी छोड़ा, उसने चूतड़ ऊपर नीचे करने शुरू कर दिए।

रूबी मुझसे बोली, “आजा विक्की, रितु की चूत लंड मांग रही है “।

मैं उठा और रितु की टांगें चौड़ी की और लंड अंदर डाल दिया। रितु ने एक सिसकारी ली ….. आआआह….। मेरी भी आवाज़ निकली आअह…. मजा आ गया”।

“फुद्दी अगर कुंवारी हो, ना चुदी हो या कम चुदी हो और टाइट हो तो फुद्दी में लंड डाले में मजा ही अलग आता है। रितु की फुद्दी वैसे ही थी – कुंवारी, कम चुदी और टाइट”।

रूबी ने मुझ से पूछा, क्यों विक्की, “मजा आया टाइट फुद्दी में लंड डालने का “।

मैंने रितु को भी मैंने कमर के नीचे से हाथ डाल कर भींच लिया। रितु की चूचियां इतनी सख्त थी की दब ही नहीं रही थी। चुदाई शुरू हो चुकी थी। धक्के लग रहे थे। लंड अंदर बाहर हो रहा था। चूत टाइट होने के कारण चूत के अंदर रगड़े भी ज्यादा लग रहे थे और रितु के मुंह से आआ…आआह… आआह…. उउइइ की सिसकारियां भी बहुत निकल रहीं थी।

रूबी एक हाथ से अपनी चूत रगड़ रही थी और एक हाथ से अपने चूची का निपल मसल रही थी।

रितु ने जोर जोर से चूतड़ हिलाने शुरू कर दिए। सिसकारियां भी बढ़ गयी अअअ…अअह… आआह… उउइइ। उधर रूबी ने भी हिलना और हल्की हल्की सिसकारियां लेनी शुरू कर दी आआआ…आआह… आअह।

“क्या दोनों झड़ने वालीं थीं “?

मेरा भी लंड पिचकारी छोड़ने के लिए तैयार था। बस मैंने रोका ही हुआ था कि मैं रितु के साथ ही झडूं।

एकदम रितु की सिसकारियां बढ़ गयी चूतड़ जोर से हलने लगे… आअह… सर…आअह.. सर …आअह सर… आने वाली हूं मैं …सर.. सर…. आह मैडम….गयीईईए मैं …. मैडम … मैडम ….अअअह सर… और जोर से। मैंने धक्कों कि स्पीड बेतहाशा बढ़ा दी।

कुंवारी फुद्दी को लंड की तलब भी बहुत थी।

और रितु एकक लम्बी आआआह …उउइइ के साथ झड़ गयी – साथ ही रूबी का भी एक अअअह… आआह की सिसकारी के साथ ही पानी छूट गया और साथ ही लम्बी वोहा…आअह.. के साथ मैं भी झड़ गया। रितु की फुद्दी भर दी मैंने रितु ने मेरा लंड फुद्दी के अंदर जकड़ लिया।

तूफ़ान थम गया था। सब झड़ चुके थे और निढाल पड़े थे। मैं उठा और सीधा बाथरूम की तरफ बड़ा की रूबी बोली, “रुक जा विक्की – अभी नहीं “।

“क्या फिर चुदवाना है रूबी को” ?

मैं सोफे पर बैठ गया। दस मिनट के बाद रूबी उठी। रितु अभी भी निढाल थी। रूबी रितु के चूत को चाटने लगी और सारा पानी पी गयी। रूबी रितु कि चूचियाँ दबाते हुए बोली, चल रितु तुझे बढ़िया स्नान करवाती हूं।

रितु उठ गयी। रूबी मुझे बोली ,”चल विक्की, स्नान करवा हमे गरम पानी से”।

मैं समझ गया क्या होने वाला है। बाथ रूम जा कर रूबी ने रितु से कहा, “रितु बैठ जा। रितु नीचे बैठ गयी , साथ ही चूतड़ से चूतड़ सटा कर रूबी बैठ गयी। रूबी ने मेरा लंड पकड़ा और अपने मुंह की तरफ कर दिया, “चल विक्की, छोड़ दे धार गर्म गर्म मूत की”।

दो पेग अंदर थे और रूबी की चुदाई के बाद भी मैंने मूता नहीं था। खूब मूत निकला। रूबी कभी लंड अपनी तरफ घुमाती और कभी रितु कोई तरफ। मूत उनके मुंह से होता हुआ चूचियों पर और फिर चूत से होता हुआ बह रहा था। उधर दोनों, रूबी और रितु भी एक आवाज के साथ मूत रही थी शरररर सररररर फरररररर शरररररर।

लड़कियों के मूतने की आवाज शररर्र फर्रर्रर्र में भी एक लय और संगीत होता है – सेक्सी संगीत। बड़े बड़े ब्रह्मचारियों का लंड खड़ा कर देता है। अगर मैंने भी दो चूतें न चोदी होतीं और दो दो बार ना झड़ा होता तो मेरा भी लंड खड़ा हो जाना था।

मूतना खत्म कर के मैं एक तरफ खड़ा हो गया। रूबी और रितु उठीं और हम तीनो ने इक्क्ठे गर्म पानी का स्नान किया। खूब मला एक दुसरे कि चूत, गांड और लंड को। मजा ही आ गया।

मैं और रूबी नंगे ही बार में चले गए। रूबी ने रितु आवाज़ लगाई, “रितु बार में आना ज़रा “।

पांच मिनट के बाद रितु आयी, कपड़े पहन चुकी थी बाल कायदे से संवारे हुए थे, “जी मैडम “।

रूबी ने कहा “बाहर बालकनी में गिलास पड़े हैं, जरा ला दे और पेग बना दे”। फिर पुछा ,”फिश फ्राई आ गयी क्या, और क्या मंगवाया है “?

रितु ने कहा, “हां मैडम फिश फ्राई है दाल फ्राई घर में बनी हुई और साथ में घर के ही बने फ्राइड राइस और फ्रेंच सलाद”।

रूबी बोली “बढ़िया”।

पांच मिनट के बाद रितु आयी, मगर इस बार नंगी। हाथ में गिलास और भुने काजुओं की ट्रे।

रूबी जोर से हंसी, “अरे तू क्यों नंगी हो गयी “।

रितु भी हल्के से हंसी मगर बोली कुछ नहीं।

मैंने पहली बार रितु को हंसते देखा था – खुश तो वो हमेशा ही रहती थी।

रूबी फिर हंसी, “अच्छा, अच्छा इधर आ “।

रितु रूबी के पास चली गयी। रूबी ने प्यार से रितु की गाल पर एक चुम्मा लिया और उसकी सफ़ेद सख्त चूतड़ों पर हाथ फेरती हुई बोली, “और तुझे ऐसे देख कर तेरे सर का लंड फिर खड़ा हो गया तो “? और फिर बोली, “अच्छा जा खाना लगा दे “।

मैंने रूबी को कहा, “रूबी, इसके बिना तेरा काम कैसे चलेगा। कितना ध्यान रखती है तेरा ये रितु ”

रूबी बोली ,”मैं जानती हूं विक्की, मगर अपने स्वार्थ के लिए इसका भविष्य नहीं बदलना चाहती। मेरी कामना है ये जहां भी रहे हमेशा खुश रहे – ऐसे ही जैसे यहां है। इसने तो अभी अपनी ज़िंदगी अपनी मर्ज़ी से जीनी है “।

दो दो पेग के बाद हमने तीनों ने मिल खाना खाया और सोने चले गए – कपड़े पहन कर।

शनिवार का दिन

सुबह हम सात बजे उठ गए I बालकनी में बैठ कर शिवालिक के पहाड़ों का नज़ारा करते करते हमने चाय पी। रूबी बोली, “हां विक्की, आज का क्या प्रोग्राम है “?

मैंने कहा, “रूबी मैं जब शिमला आता हूं तो मेरा कोइ प्रोग्राम नहीं होता। मैं बस आराम करने आता हूं – रिलैक्स करने और मानसिक तनाव दूर करने। मैं ऐसे ही इधर उधर आवारागर्दी -टाइम पास करता हूं। जो भी प्रोग्राम तू बनाएगी, वो चलेगा। हां रात का प्रोग्राम आज मेरी मर्जी का होगा”।

रूबी हंसी, “अच्छा ? और ‘उस वाले का’ क्या प्रोग्राम है “?

“मैं सोफे पर बैठूंगा और तू और रितू आपस मैं वो सब करना जो चुदाई का मन होने पर करती हो, जब लंड नहीं मिलता”।

रूबी हंसी, “ठीक है, और कल इतवार को क्या करेंगे ? सोमवार तो तूने चले जाना है “।

मैंने कहा ,”कल मैं अपने आप को तुम्हारे हवाले कर दूंगा , जैसे मर्जी, जो मर्जी करो मेरे साथ – एक दिन का दोनों इन सुंदरियों का गुलाम”। मैंने उनकी और इशारा करके कहा I

रूबी बड़ी जोर से हंसी।

“विक्की धर्मपुर चलें ? पुरानी यादें ताज़ा करने का मन कर रहा है” I

मेरा भी मन था धर्मपुर जाने का। मैं तो जब भी शिमला जाता हूं धर्मपुर जरूर रुकता हूं – और आज रूबी के साथ ?

मैने कहा, “ठीक है धर्मपुर चलते हैं शाम तक वापस आ जायेंगे”

“तो ठीक है हो गया फाइनल, आज धर्मपुर ही चलते हैं। घूम कर शाम तक वापस आ जायेंगे”, फिर रितु को आवाज लगा कर बोली, “रितु कस्तूरी को फोन कर दे नौ बजे तक आ जाएगा, धर्मपुर जाना है।और सुन, तू भी तैयार हो जा “।

“कस्तूरी लाल रूबी का ड्राइवर है। रूबी के पास हौंडा सिटी कार है”।

“जी मैडम, तो फिर नाश्ता बना दूं “? रितु ने पूछा।

“रहने दे, रास्ते में किसी ढाबे में करेंगे पहाड़ी नाश्ता। होटलों की मच्छी और चाइनीज़ बहुत खा लिया। आज पहाड़ी खाना खाएंगे, पहाड़ियों के हाथ का बना हुआ”। रूबी ने हंस कर कहा।

मैं भी हंसा, “तू भी तो पहाड़न ही है मेरी मस्त मस्त पहाड़न”।

रूबी ने एक चुम्मा ले लिया मेरा, “और तू ? तू भी तो पहाड़ी ही है, मेरा मस्त मस्त पहाड़ी। क्या हुआ जो अब नहीं रहता पहाड़ों में”।

तीनों नहाने और तैयार होने चले गए।

रूबी और रितु दोनों ने जींस और पूरी बाजू की टी शर्ट डाली हुई थी। दोनों पांच फुट आठ इंच लम्बी – दोनों बहने लग रहीं थीं। रितु तो लग ही नहीं रही थी की घर का काम करती होगी। किसी कालेज में पढ़ने वाली अमीरज़ादी लग रही थी।

बहुत ध्यान रखती थी रूबी उसका। बढ़िया ब्रांड की जींस और पूरी बाजू की पोलो टी शर्ट और वैसे ही सफ़ेद रंग के स्पोर्ट्स जूते। जींस और जूते तीन तीन चार चार हज़ार से कम क्या होंगे।

टाइट कपड़ों में से चूचियों और चूतड़ों के उभार देख मन कर रहा था अभी की अभी लिटा कर दोनों की चुदाई कर दूं।

मैंने कहा, “क्या बात है भाई, दोनों बड़ी मस्त सेक्सी लग रही हो, किसी का क़त्ल करने का इरादा है क्या”?

दोनों हंसी। रूबी ने कहा, “तू अपना ध्यान रख “।

मैंने भी हंस कर कहा, “मुझे कुछ नहीं होना, मेरे पास तो पहले से ही ये दो दो परियां हैं “।

कस्तूरी आ चुका था। सब लोग नीचे उतरे और धर्मपुर का सफर शुरू हो गया। मैं आगे की सीट पर बैठा। मैं रितु को ये आभास नहीं देना चाहता था की वो रूबी के घर का काम करने वाली एक मामूली लड़की है। रूबी भी तो उसे घरके सदस्य के तरह ही मानती थी। एक दुसरे के सामने एक ही बेड पर चुदाई करवाती थी।

कंडाघाट रुक कर एक छोटे से पहाड़ी ढाबे में हमने नाश्ता किया और छतीस मसलों वाली मशहूर चाय पी।

शिमला से धर्मपुर साठ किलोमीटर है। इस सफर में पहले वक़्त ज्यादा लगता था, जब कारें और बसें सोलन शहर के अंदर से जाती थी। अब तो बाहर बाहर से ही सड़कें निकल दी गयी है। सड़कों के चढ़ाई भी बढ़ा दी गयी है। शिमला से धर्मपुर दो ढाई घंटे में पहुंचा जा सकता है। हम साढ़े नौ बजे तक घर से निकल गए।

कस्तूरी को रूबी ने धर्मपुर बाजार से सुबाथू की तरफ जाने वाली सड़क पर एक जगह बता दी और वहीं रुकने को बोल दिया। मैं रूबी और रितु धर्मपुर बाजार में घूमते घूमते नीचे की तरफ रेलवे स्टेशन पर चले गए। बचपन में मैं और रूबी यहां बहुत आया करते थे – छोटी पांच बोगियों वाली गाड़ी देखने। रूबी मेरे साथ साथ चिपक कर चल रही थी। धर्मपुर पहुंच कर रूबी बहुत रोमांटिक हो गयी थी इतनी ज्यादा की अगर मौक़ा मिलता तो मुझे चोदने के लिए ही कह देती।

सटेशन पर भीड़ ना होने के कारण छोटे बच्चे घंटों यहां खेला करते थे। रितु हमारे साथ ही थी – रूबी रितु को सब कुछ बता रही थी की हम बचपन में कहां क्या क्या करते थे।

स्टेशन से फिर हम रेलवे लाइन के किनारे किनारे शिमला की तरफ चल पड़े। यहीं रेलवे लाइन से नीचे की तरफ रूबी का घर था टीन की छत वाला। सारे घर टीन की छतों वाले ही होते थे । अब तो वहां भी लोग पुराने घर तोड़ कर नए घर बना रहे। रूबी का घर भी नया बन चुका था – अब तो पहचान में भी नहीं आ रहा था।

वहां से वापस लौट कर हम पहाड़ी पर बने छोटे से मंदिर – मनसा देवी के मंदिर चले गए। ये एक और जगह थी जहां मैं और रूबी जाया करते थे।

कालका की तरफ जाने वाली सड़क पर एक होटल में हमने खाना खाया। आलू के परांठे और रायता, साथ में गाजर का आचार।

इधर उधर घूमते घूमते हमे तीन घंटे बिता दिए।

चार बज चुके थे। अब वापस चलने का टाइम था। शिमला पहुंचते पहुंचे सात बज जाने थी।

हमारा वापसी का सफर शुरू हो गया। रास्ते में एक जगह रुक कर चाय पी और सात बजे से थोड़ा पहले ही शिमला वापस पहुंच गए।

रूबी ने मुझ से पूछा, “रात को क्या खाना है “?

मुझे बिलकुल भी भूख नहीं थी रूबी ने भी मना कर दिया, रितु भी बोली उसका भी खाने का मन नहीं है।

रूबी बोली “तो फिर ठीक है, गर्म पानी से स्नान करके फ्रेश हो जाओ “। रूबी ने रितु से बोली, “रितु पहले नहा ले फिर बढ़िया चाय बना ले। चाये पी के फुर्ती आ जाएगी फिर देखते हैं क्या करना है ? क्यों विक्की “? और साथ ही वो हंस दी।

मैं भी हंस दिया। रितु मुस्कुराते हुए बाथ रूम चली गयी।

बालकॉनी में बैठ कर ही चाय पी और दस मिनट बाद बार में पहुंच गए।

रितु ने गिलास मेज पर सजा दिए थे। पेग बना कर रूबी ने मुझ से पूछा “आज का क्या प्रोग्राम है विक्की”।

मैंने हंस कर कहा,”आज का शो तो तुमने और रितु ने करना है। बीच में अगर मेरी जरूरत पडी तो मुझे भी साथ मिला लेना और अगर मेरा मन हुआ तो मैं खुद ही आ जाऊंगा “।

फिर मैंने रूबी से पूछा ,”लेकिन रूबी, मुझे ये बताओ की तुम और रितु ये आपस में ये सेक्स रबड़ के लंड से कब चुदाई करती हो। मेरा मतलब है कोइ ख़ास दिन होता है क्या जैसे इतवार या कोइ और ? तुम दोनों का मन भी तो होना चाहिए। किसी एक का भी मन ना हुआ तो मजा कैसे आएगा”।

“हमारा भी कोइ दिन नहीं है। हफ्ते में कई बार तो तीन तीन बार भी हो जाता है। फरक सिर्फ ये है की जब मेरा मन चुदाई का करता है तो मैं साफ़ साफ़ रितु को बोल देती हूं, “रितु जरा आज आजा , बड़ा मंन कर रहा है “।

“विक्की पहली बात तो ये है की रितु तो अभी जवान ही है, मैं भी बूढ़ी नहीं हूं। इस उम्र में लड़कियां और औरतें महावारी के चार पांच दिनों को छोड़ कर हमेशा चुदाई के लिए तैयार रहती हैं। बस चुदाई का जिक्र भर आना चाहिए”।

रूबी ने बात जारी रखी “और ये रितु को तो तूने देखा ही है कितनी जवान है। जवानी में भी चुदाई ना करवाई तो क्या किया। कई बार तो मेरा मन करता है इसे भी होटल या क्लब ले जाऊं और चुदाई करवा दूं, मगर फिर सोचती हूं, कहीं चुदाई का चस्का ही ना पड़ जाए।

“इस उम्र की लड़की को अगर एक बार चुदाई का चस्का पड़ गया तो फिर जब तक लड़की रोज ना चुद जाए वो रह नहीं सकती। ये भी एक कारण है की मेरी कोशिश होती है की हफ्ते में कम से कम दो तीन बार तो इसकी चूत का पानी छुड़ा ही दूं। अब इसका पानी झड़ता है तो साथ मेरा भी काम हो जाता है”। ”

रूबी बोले बोली, “और फिर दो साल की ही तो बात है। फिर तो इसका अपना घर का लंड होगा – जब मर्ज़ी ले – चाहे दिन में एक बार ले या दो बार ले”।

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